Trump pharma tariff 2025 : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Trump pharma tariff) ने 1 अक्टूबर 2025 से ब्रांडेड और पेटेंटेड फार्मास्युटिकल उत्पादों पर 100% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। इस कदम से भारत के फार्मा सेक्टर पर दबाव बढ़ सकता है क्योंकि भारत अमेरिकी बाजार में दवाओं का एक बड़ा सप्लायर है। हालांकि, अच्छी बात यह है कि जेनेरिक (Generic medicines) को इस टैरिफ से छूट मिली है, जिसमें भारत की सबसे बड़ी ताकत छिपी हुई है।
अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग करने वाली कंपनियों को राहत
नई नीति के अनुसार, यदि किसी कंपनी ने अमेरिका में फार्मा मैन्युफैक्चरिंग प्लांट का निर्माण शुरू कर दिया है या वह निर्माण प्रक्रिया में है, तो ऐसे उत्पादों पर टैरिफ नहीं लगाया जाएगा। इससे भारतीय कंपनियों को अमेरिकी बाजार (US-India trade) में अपने प्लांट्स स्थापित करने की दिशा में धकेला जा रहा है। हालांकि, इससे उनकी लागत और निवेश समय दोनों बढ़ेंगे।Sun Pharma, Lupin, Cipla, Aurobindo Pharma और Biocon जैसी बड़ी भारतीय कंपनियों के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई, क्योंकि ये कंपनियां अमेरिकी बाजार में ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं (Indian pharma export) का निर्यात करती हैं।
जेनेरिक दवाओं का दबदबा बरकरार
भारत दुनिया का सबसे बड़ा जेनेरिक दवाओं का निर्माता है और वैश्विक मांग का करीब 20% हिस्सा भारत से पूरा होता है। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय फार्मा उद्योग ने पेटेंटेड और जटिल दवाओं (Complex generics) पर निवेश बढ़ाया था। ऐसे में ट्रंप के इस कदम से उनकी नई प्रोडक्ट लाइन पर असर पड़ सकता है।भारत सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना, जो बायोफार्मास्युटिकल्स और पेटेंटेड दवाओं को प्रोत्साहन देती है, इस टैरिफ नीति से प्रभावित हो सकती है। इससे भारतीय कंपनियों को अपनी रणनीति में बड़े बदलाव करने होंगे।
फिलहाल सीमित प्रभाव, भविष्य में खतरा
विश्लेषकों के अनुसार, अल्पकालिक स्तर पर इस नीति का सीधा असर सीमित होगा क्योंकि भारत का मुख्य निर्यात जेनेरिक दवाओं पर आधारित है। मगर, भविष्य में यदि जटिल जेनेरिक दवाएं और बायोसिमिलर्स भी टैरिफ के दायरे में आए, तो भारतीय फार्मा सेक्टर के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है Trump pharma tariff लागू होने से अमेरिकी फार्मा बाजार में दवाओं की कीमतें महंगी हो सकती हैं। इसका असर सीधे उपभोक्ताओं की पहुंच पर होगा, और अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली (US healthcare system) पर दबाव बढ़ सकता है।
भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में तनाव
यह टैरिफ “नेशनल सिक्योरिटी” के आधार पर लागू किया गया है, जिससे भारत-अमेरिका के व्यापारिक संबंध (US-India trade relations) में नया तनाव देखा जा सकता है। भारत को अब अमेरिका में निवेश और उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर जोर देना होगा। भारत के निवेशकों को सलाह दी जा रही है कि वे बाजार के उतार-चढ़ाव पर नजर रखें और दीर्घकालिक निवेश फैसले सावधानीपूर्वक लें।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, Trump pharma tariff से भारतीय फार्मा सेक्टर की बड़ी कंपनियों पर अल्पकालिक दबाव बनेगा, खासकर उन पर जो ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं का निर्यात करती हैं। हालांकि, भारत की वास्तविक ताकत—जेनेरिक दवाओं की वैश्विक मांग—अभी भी मजबूत बनी हुई है, जिससे इसका लंबी अवधि का प्रभाव सीमित रहेगा।
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(यह जानकारी केवल शिक्षा और संदर्भ के लिए है। इसमें दी गई शेयर मार्केट की सलाह निवेश की गारंटी नहीं देती। निवेश करने से पहले वित्तीय सलाहकार से जरूर सलाह लें।)