Stock Market News: हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (HCL) ने मिनिंग उद्योग की दुनिया में हाल ही में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। झारखंड के केंदडीह क्षेत्र में कंपनी ने जिला प्रशासन के साथ 20 साल की माइनिंग लीज साइन की है। इस डील से कंपनी को खनन क्षमता बढ़ाने का सुनहरा मौका मिला है और इसकेCopper प्रोडक्शन में बड़ा उछाल आने की उम्मीद है।
नई लीज डील: कंपनी को मिला विस्तार का मौका
HCL ने न सिर्फ केंदडीह बल्कि राखा खदान के लिए भी लीज का विस्तार कर लिया है। दोनों प्रोजेक्ट्स को अगले साल में सक्रिय करने का लक्ष्य रखा गया है। इसी रणनीति के तहत कंपनी 2030 तक अपनी माइनिंग क्षमता को करीब 12.2 मिलियन टन प्रति वर्ष करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। कंपनी ने प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी को एडवांस करने के लिए चिली की Codelco से टेक्निकल कोलैबोरेशन किया है, जिससे भारतीय माइनिंग को वैश्विक स्तर की नई तकनीक और टिकाऊ प्रैक्टिस मिलेंगी।
तांबे की बढ़ती मांग में कंपनी की भूमिका
आजकल इलेक्ट्रिक व्हीकल, ग्रीन एनर्जी और इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण देश में तांबे की मांग लगातार बढ़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि 2040 तक भारत में कॉपर की वार्षिक डिमांड 3.5 मिलियन टन तक जा सकती है। ऐसे में हिंदुस्तान कॉपर Limted की भूमिका उद्योग में और भी खास हो गई है। Malanjkhand प्रोजेक्ट, जो HCL के कुल Copper प्रोडक्शन का 80% प्रदान करता है, अगले कुछ सालों में इसे 5 मिलियन टन तक ले जाने का टार्गेट है।
वित्तीय स्थिति और शेयर परformance
FY26 की पहली तिमाही में HCL ने ₹516 करोड़ का रेवेन्यू और ₹179 करोड़ का प्री-टैक्स प्रॉफिट दर्ज किया है। 2024-25 में कंपनी ने ₹2071 करोड़ का रिकॉर्ड रेवेन्यू बनाया। कंपनी के शेयर ने भी पिछले छह माह में लगभग 65% का रिटर्न दिया है। फिलहाल इसका भाव करीब ₹338 है, जबकि 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर ₹351 रहा है। कंपनी का कुल मार्केट कैप ₹32,680 करोड़ के आसपास पहुंच गया है।
तांबा भंडार और प्रोजेक्ट विस्तार
केंदडीह में लगभग 117 मिलियन टन और राखा में 229 मिलियन टन तांबा अयस्क का भंडार मौजूद है। केंदडीह का माइनिंग क्षेत्र करीब 1,140 हेक्टेयर में फैला है, तो राखा प्रोजेक्ट 785 हेक्टेयर तक फैला है। सरकार की योजना है कि इन खदानों का इस्तेमाल करके देश को मैटेरियल सप्लाई में आत्मनिर्भर बनाया जाए जिससे आयात पर निर्भरता घटे।
क्यों ज़रूरी है नई लीज डील?
इस पहल से बंद पड़ी खदानों की फिर से शुरुआत हो सकेगी, जिससे कंपनी की सप्लाई, उत्पादन और आमदनी में बड़ा योगदान मिलेगा। नई अंतरराष्ट्रीय तकनीक और सहयोग के साथ कंपनी अपना खर्च नियंत्रण में रख सकेगी, जिसका असर निवेशकों के मुनाफे पर भी दिखेगा।
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नोट: शेयर बाजार में निवेश करते समय पूरी रिसर्च करें और वित्तीय सलाहकार की राय अवश्य लें, क्योंकि उतार-चढ़ाव का जोखिम हमेशा बना रहता है।







