कभी देश की टेलीकॉम इंडस्ट्री में राज करने वाली कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) आज ताश के पत्तों की तरह बिखर चुकी है। एक समय ऐसा था जब इस कंपनी का शेयर निवेशकों के लिए सोने की खान माना जाता था। साल 2008 में इसका भाव ₹844 के उच्च स्तर पर पहुंच गया था। लेकिन आज वही शेयर निवेशकों की आंखों में आँसू भर रहा है क्योंकि अक्टूबर 2025 तक इसका दाम गिरकर ₹2 से भी नीचे, महज़ ₹1.38 पर आ चुका है।
कभी चमकता सितारा, अब कर्ज़ में डूबा
RCOM की शुरुआत बहुत धूमधाम से हुई थी। कंपनी के पास देशभर में लाखों ग्राहक थे और यह टेलीकॉम सेक्टर में भरोसे का नाम बन गई थी। लेकिन समय के साथ कंपनी पर कर्ज़ का बोझ बढ़ता गया। बढ़ते खर्च और सख़्त प्रतिस्पर्धा ने कंपनी को धीरे-धीरे नीचे गिरा दिया। हालात यहां तक बिगड़े कि साल 2019 में इसे दिवालिया प्रक्रिया (Insolvency Process) में जाना पड़ा।मार्च 2025 तक कंपनी पर ₹40,000 करोड़ से भी ज्यादा का कर्ज़ चढ़ चुका था। यह साफ दिखाता है कि मैनेजमेंट कर्ज से निकलने का रास्ता खोजने में नाकाम रहा।
AGM में नए बदलाव
हाल ही में हुई कंपनी की 21वीं सालाना बैठक (AGM) में कुछ अहम फैसले लिए गए। कंपनी ने प्रियंका अग्रवाल को नया स्वतंत्र निदेशक बनाया है। उनका कार्यकाल दिसंबर 2024 से शुरू होकर पाँच साल तक चलेगा। इसके अलावा कंपनी ने अशिता कौल एंड एसोसिएट्स को अगले पाँच साल (2025-26 से 2029-30 तक) के लिए नया सेक्रेटेरियल ऑडिटर नियुक्त किया है। मैनेजमेंट में यह बदलाव कई निवेशकों की उम्मीदें जगाता है कि शायद कंपनी खुद को फिर से खड़ा कर सके। लेकिन दूसरी ओर कंपनी की वित्तीय हालत और इसका विवादित ट्रैक रिकॉर्ड इस उम्मीद को कमजोर भी कर देता है।
बैंकों ने दिया बड़ा झटका
जैसे हालात खराब थे, वैसे ही बैंकों ने भी कंपनी पर से भरोसा हटा दिया। हाल ही में देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) और बैंक ऑफ इंडिया (BOI) ने RCOM और अनिल अंबानी के खातों को “फ्रॉड” घोषित कर दिया। यह खबर कंपनी के लिए और बड़ा झटका थी। जब किसी कंपनी को बैंक “धोखाधड़ी” की श्रेणी में डाल देते हैं, तो निवेशकों का भरोसा पूरी तरह खत्म हो जाता है। यही वजह है कि अब अधिकतर निवेशक इस शेयर से दूर ही रहना पसंद करते हैं।
शेयर का हाल
आज की तारीख में RCOM का शेयर ₹1.38 पर ट्रेड कर रहा है। हां, इसमें हल्की रोज़ाना चढ़-उतार जरूर देखने को मिलती है। अक्टूबर 2024 में यह ₹2.59 तक गया था लेकिन वहां टिक नहीं पाया। 52 हफ्तों के अंतराल में देखा जाए तो निवेशकों के पैसे डूबते ही नज़र आते हैं। बड़े सवाल यही हैं कि क्या अनिल अंबानी की यह कंपनी फिर से खड़ी हो पाएगी? निवेशक अब सतर्क हो गए हैं क्योंकि पिछले कई सालों का अनुभव बता चुका है कि केवल मैनेजमेंट बदलाव या छोटी खबरों से इस कंपनी की दुबली हालत सुधारना मुश्किल है। विशेषज्ञों का मानना है कि दिवालिया प्रक्रिया, भारी कर्ज़ और बैंकों के फ्रॉड टैग के बाद कंपनी दोबारा पहले जैसा भरोसा बना पाएगी, इसकी संभावना बहुत कम है।
निवेशकों के लिए सबक
RCOM की कहानी यह सिखाती है कि शेयर बाजार में केवल नाम और ब्रांड देखकर निवेश नहीं करना चाहिए। भले ही कोई शेयर कभी ऊँचे दाम पर रहा हो, लेकिन अगर कंपनी का बिज़नेस फेल हो जाए और प्रबंधन दिशा खो दे, तो निवेशकों की पूंजी डूब सकती है। RCOM का सफर ₹844 से गिरकर ₹2 से भी नीचे आने तक का है। कभी यह भारत की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनियों में गिनी जाती थी, लेकिन आज इसे “डूबता जहाज” कहा जा सकता है। जो निवेशक इसमें लंबे समय तक टिके रहे, उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा।
यह कहानी बाकी निवेशकों के लिए एक सबक है कि सही रिसर्च, समय पर बाहर निकलना और मजबूत कंपनियों का चुनाव ही लंबे समय में सफलता की चाबी है।