केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, 2025–26 में करीब 47,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए आधा दर्जन से ज्यादा सरकारी कंपनियों में अल्पांश (माइनॉरिटी) हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में है। इस नीति का मकसद सरकारी स्वामित्व घटाना और पूंजी बाजार में छोटे निवेशकों को भागीदारी का बेहतर मौका देना है। पिछले वित्त वर्ष में बाजार की अस्थिरता के कारण प्रक्रिया धीमी पड़ी थी, लेकिन अब मार्केट स्थिर होते ही विनिवेश की रफ्तार तेज करने की योजना बन चुकी है।
किन सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बिक्री की संभावना?
प्रमुख कंपनियाँ, जिनमें हिस्सेदारी बिक्री का रोडमैप बन रहा है:
- UCO Bank
- Bank of Maharashtra
- Central Bank of India
- Punjab & Sind Bank
- Indian Overseas Bank
- Life Insurance Corporation of India (LIC)
- ONGC (ग्रीन एनर्जी डिविजन)
- NHPC (रिन्यूएबल एनर्जी डिविजन)
इन कंपनियों के शेयर क्यों चर्चा में हैं?
- सभी सरकारी बैंकों और LIC में सरकार की हिस्सेदारी 75% से अधिक है, जबकि SEBI नियम के तहत यह 75% से नीचे लाना अनिवार्य है।
- बैंकिंग सेक्टर में FY26 तक सरकार की हिस्सेदारी कम करने की डेडलाइन तय है।
- ONGC और NHPC जैसी कंपनियों में ग्रीन एनर्जी इकाइयों की लिस्टिंग से नए इन्वेस्टर्स और पूंजी जुटाने का रास्ता खुलेगा।
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विनिवेश का उद्देश्य और निवेशकों के लिए क्या है फायदा?
- सरकार को राहत: हिस्सेदारी बिक्री से सरकार को पूंजी जुटाने में आसानी होगी व बजट घाटा नियंत्रित रहेगा।
- कंपनियों के लिए: संचालन में पारदर्शिता, गवर्नेंस और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
- शेयरधारकों के लिए: IPO और OFS जैसे रास्तों से भागीदारी के नए मौके मिलेंगे।
विनिवेश के लिए विकल्प
- QIP (Qualified Institutional Placement): सीधा बड़े संस्थागत निवेशकों को शेयर बेचना।
- OFS (Offer for Sale): शेयर बाजार में आम निवेशकों को बेचना।
- IPO: ग्रीन और रिन्यूएबल डिविजन में नई लिस्टिंग के जरिए पूंजी जुटाना।
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चुनी गई कंपनियों की फंडामेंटल्स (2025 के अनुमान)
कंपनी | मार्केट कैप (₹ करोड़) | P/E रेशियो | प्रमोटर होल्डिंग (%) | ROE (%) | NPA (Banks) |
---|---|---|---|---|---|
UCO Bank | 49,000+ | 13 | 95 | 15 | 2.8 |
Bank of Maharashtra | 52,500+ | 8.5 | 87 | 14 | 2.2 |
Central Bank of India | 33,000+ | 11 | 93 | 11 | 4.2 |
Punjab & Sind Bank | 18,500+ | 14 | 98 | 10 | 6.2 |
Indian Overseas Bank | 38,000+ | 12 | 96 | 10.5 | 4.5 |
LIC | 6,55,000+ | 10.4 | 97.8 | 10.7 | NA |
ONGC (Green) | 2,46,000+ (ONGC) | 8.6 | 58 | 13 | NA |
NHPC (Renewables) | 70,000+ (NHPC) | 16.5 | 70 | 11 | NA |
नोट: आंकड़े अनुमानित, ताज़ा आंकड़ों के अनुसार बदल सकते हैं।
हालिया सरकारी लक्ष्य और रणनीति
- Disinvestment Target: वित्त वर्ष 2025-26 का लक्ष्य 47,000 करोड़ रुपये (एसेट मोनेटाइजेशन के साथ)।
- Dividend Income: सरकारी कंपनियों से करीब 69,000 करोड़ रुपये लाभांश का अनुमान।
- डीआईपीएएम (DIPAM) की रणनीति: IPO, OFS, QIP के जरिए बड़े पैमाने पर खुदरा निवेशकों को अवसर।
स्टॉक मार्केट पर असर और संभावनाएं
- इन कंपनियों के स्टॉक्स में खबरों के असर से निकट भविष्य में वोलैटिलिटी रह सकती है।
- अल्पंश बिकेगी तो कंपनियों की पब्लिक होल्डिंग और लिक्विडिटी बढ़ेगी, जिससे कीमतों में स्थिरता और गवर्नेंस में पारदर्शिता।
- IPO और लिस्टिंग से नए स्टॉक्स में निवेश का आकर्षण।
- बैंकों की ओर निवेशकों का रुझान पहले से ज्यादा, कई PSU बैंक बीते एक साल में 100%+ रिटर्न दे चुके हैं।
- ग्रीन एनर्जी सेक्टर में सरकारी कंपनियों की नई लिस्टिंग से लॉन्ग टर्म ग्रोथ स्टोरी पर तेज फोकस।
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निष्कर्ष
2025-26 में सरकार का विनिवेश अभियान सार्वजनिक हिस्सेदारी बढ़ाते हुए कंपनियों की मजबूती, पारदर्शिता और मार्केट ग्रोथ को रफ्तार देगा। निवेशकों के लिए सरकारी कंपनियों में भागीदारी और तेजी का नया अवसर है, हालांकि स्टॉक चयन में फंडामेंटल्स और वोलैटिलिटी देखना जरूरी रहेगा।
यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से है और किसी भी तरह की निवेश सलाह नहीं है। निवेश से पहले वित्तीय विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।